हनुमान चालीसा: संपूर्ण पाठ, महत्व, लाभ और सही तरीका | Hanuman Chalisa Benefits & Meaning in Hindi

Hanuman Chalisa

हनुमान चालीसा: पाठ, महत्त्व, लाभ और पढ़ने का सही तरीका

हनुमान चालीसा भगवान हनुमान को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली स्तुति है जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था। यह 40 दोहों का संग्रह है, जिसे पढ़ने से भय, रोग, बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैं। इस लेख में हम हनुमान चालीसा के पाठ से लेकर इसके लाभ और सही पढ़ने की विधि तक सभी जरूरी बातों को सरल भाषा में समझेंगे।

हनुमान चालीसा का इतिहास और रचना

हनुमान चालीसा की रचना 16वीं शताब्दी में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा की गई थी। यह अवधी भाषा में लिखा गया है और इसमें 40 चौपाइयां हैं — इसलिए इसका नाम “चालीसा” पड़ा।

हनुमान चालीसा पढ़ने के अद्भुत लाभ

  1. भय और नकारात्मकता से रक्षा:
    रोज सुबह या रात में इसका पाठ करने से डर, बुरे सपने और नेगेटिविटी दूर होती है।
  2. रोगों से मुक्ति:
    मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए इसका पाठ लाभकारी माना गया है।
  3. शनि दोष और ग्रह बाधा से मुक्ति:
    जिनकी कुंडली में शनि या राहु-केतु दोष है, उनके लिए यह अत्यंत फलदायी है।
  4. मन की शांति और एकाग्रता:
    विद्यार्थियों और साधकों को ध्यान और पढ़ाई में मन लगाने में सहायता मिलती है।
  5. संकटों से सुरक्षा:
    “संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।” — यह चौपाई अपने आप में समाधान है।

हनुमान चालीसा पढ़ने की सही विधि

  • समय:
    सुबह सूर्योदय से पहले या रात सोने से पहले पढ़ना शुभ होता है।
  • स्थान:
    शांत और साफ जगह जैसे मंदिर या पूजा स्थल।
  • आसन:
    कुशासन या पीले कपड़े पर बैठकर पढ़ें।
  • भाव:
    श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ें — यही सबसे बड़ा नियम है।
  • ध्यान रखें:
    पाठ से पहले और बाद में हनुमान जी का ध्यान अवश्य करें। “ॐ हं हनुमते नमः” मंत्र से शुरुआत करें।

हनुमान चालीसा संपूर्ण पाठ

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज , निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।

बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु संत के तुम रखवारे।।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।

अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

सङ्कट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

FAQs About Hanuman Chalisa

Q1. हनुमान चालीसा पढ़ने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

उत्तर: सुबह ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4–6 बजे) और रात सोने से पहले हनुमान चालीसा पढ़ना सबसे उत्तम माना जाता है।

Q2. क्या हनुमान चालीसा रोज पढ़ सकते हैं?

उत्तर: हाँ, हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करना अत्यंत शुभ होता है। यह मन, तन और आत्मा को शक्ति देता है।

Q3. हनुमान चालीसा पढ़ते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: साफ मन, शुद्ध स्थान, सही उच्चारण और श्रद्धा सबसे महत्वपूर्ण हैं। पाठ के दौरान मन एकाग्र होना चाहिए।

Q4. क्या महिलाएं हनुमान चालीसा पढ़ सकती हैं?

उत्तर: हाँ, महिलाएं भी श्रद्धा और भक्ति से हनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं। इसमें कोई निषेध नहीं है।

Q5. हनुमान चालीसा से क्या चमत्कारी लाभ मिलते हैं?

उत्तर: शनि दोष, भय, रोग, मानसिक अशांति, आर्थिक संकट और शत्रु बाधा जैसी समस्याओं में चमत्कारी लाभ मिलते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

हनुमान चालीसा केवल एक पाठ नहीं, बल्कि श्रद्धा, विश्वास और शक्ति का स्त्रोत है। यदि आप नियमित रूप से इसका पाठ करते हैं, तो जीवन की अनेक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। हर संकट में आपके साथ होते हैं संकटमोचन हनुमान।

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